मोदी क्यों जरुरी?
चुनाव की घोषणा हो चुकी है। आरोप-प्रत्यारोप
का दौर सुरु हो चूका है। हर राजनेता अपने आप को पाक-साफ और दूसरों को अपराधी सिद्ध
करने मे लगा है। जनता असमंजस में है की किसे वह अपना बहुमूल्य वोट दे। इसी से
संबंधित मुद्दे पर मै अपने विचार आपसे शेअर करना चाहता हूं।
सीधे मै अपने मुद्दे पर आना
चाहूंगा की हम मोदी को वोट क्यों दे? क्या मोदी मे वह जरूरी योग्यता है की वह देश
को सफलता पुर्वक चला सके? इसका जवाब है- हाँ, मुझे लगता है की उनमें वे सारी
योग्यतायें है, जो इस देश को चलाने के लिये जरुरी है। उनकी सबसे बड़ी योग्यता है-
ईमानदारी। वे अपने कार्य के प्रति, देश के प्रति और देश के लोगों के प्रति ईमानदार
है। उनमें दूसरी ढेर सारी योग्यतायें भी है, जैसे- साहस, निडरता, चरित्रवान, भारतीय
प्राचीन परंपरा एवं सभ्यता के प्रति आदर, संपूर्ण निष्ठा एवं विश्वास, अपने कार्य
के प्रति पूर्ण समर्पण, देश के प्रति अगाध प्रेम और देश के लिये कुछ करने का जज्बा
आदी, जो उन्हें प्रधानमंत्री पद के योग्य बनाते है। ऐसा योग्य व्यक्ति यदि देश का
प्रधानमंत्री बनता है तो यह इस देश के लोगों का सौभाग्य होगा।
परंतु इतना सब कुछ होने के बावजूद
उन पर विरोधीयों द्वारा तरह-तरह के झूठे आरोप लगाये जाते है। उन्हें सांप्रदायिक
कहा जाता है। अदालत के द्वारा उन पर लगाये गये सारे आरोप खारिज करने के बावजूद
उन्हें गुजरात दंगो का दोषी माना जाता है। संविधान में विश्वास करने का ढोंग करने
वाले लोग अपने सुविधानुसार संविधान की व्याख्या करने मे लगे है। वे खुद ही वकील और
जज बन बैठे है। गुजरात दंगा उनकी प्रशासनिक असफलता हो सकती है परंतु उसका सारा दोष
उन पर लगाना उनके साथ अन्याय है।
एक महाशय, जो सिर्फ़ अपने आप को
ईमानदारी का ब्रांड एम्बेसेडर मानते है और सभी को बेईमान मानते है, का कहना है की
गुजरात में विकास हुआ ही नही। जो कुछ वहाँ दिखता है सब छलावा है। इस प्रकार कहना
माना सूर्य के अस्तित्व को नकारना है। सारा देश जानता है, गुजरात के विकास बारे
में। कई वैश्विक एवं केन्द्रिय एजेन्सीयो ने अपनी रिपोर्ट मे गुजरात विकास का
उल्लेख किया है। हो सकता है विकास मे कुछ कमी रह गयी हो परंतु इसके लिये सिर्फ वह
राज्य सरकार ही जिम्मेदार कैसे हो सकती है? क्या राज्य के विकास मे केन्द्र सरकार
की कोई भूमिका नहीं होती? असल में देखा जाय तो देश के विकास में केन्द्र सरकार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि विकास के लिये नीति निर्धारण का काम केन्द्र
सरकार का है। केन्द्र सरकार के विकास विरोधी नीतियों के बावजूद यदि कोई राज्य इतना
विकास करता है तो इसका श्रेय उसी राज्य को मिलना चाहिये।
जो व्यक्ति अपने बच्चों की कसम खा कर अपनी बातों से पलट जाये ऐसे व्यक्ति पर देश
कैसे भरोसा कर सकता है? जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की घोषणा की थी वह सबसे
भ्रष्ट सरकार को छोड़ कर सबसे ईमानदार व्यक्ति की खिलाफ जंग लड़ रहा है। यह कैसी
लड़ाई? इससे पता चलता है की उस व्यक्ति की मंसा क्या है। वह ईमानदारी की चादर ओढ़ कर
भ्रष्टाचारीयों का साथ दे रहा है। वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर रहा
है। यदि सही मे वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहता है तो उसे ईमानदार के खिलाफ नही
बल्कि सभी ईमानदार लोगों को साथ लेकर भ्रष्टाचारीयों के खिलाफ लड़ना चाहिये।
उस व्यक्ति का कहना है की भाजपा में बेईमान लोग हैं। हाँ, उनकी इस बात को मै पुरी
तरह झुठला नही सकता। परंतु इस सच्चाई को भी हमें स्वीकारना पडेगा की भ्रष्टाचार से
कोई भी पार्टी अछूती नही है, स्वंय उनकी पार्टी भी। इसके बावजूद भ्रष्टाचार से
लडने की हिम्मत मोदी मे है जिसकी हमे तारीफ करनी चाहिये। सिर्फ कड़े कानून या लोकपाल बना देने से भ्रष्टाचार को नही मिटाया जा सकता। यह सिर्फ भ्रष्टाचार के
लिये एक एलोपैथीक इलाज हो सकता है जो भ्रष्टाचार को कुछ हद तक दबा तो सकता है
परंतु मिटा नही सकता। जिसप्रकार शरीर के रोगों को संपूर्ण रुप से मिटाने मे हमारा प्राचीन योग, प्राणायम एवं आयुर्वेद सक्षम है, उसी प्रकार समाज मे व्याप्त बुराईयों
को मिटाने के लिये हमें हमारे प्राचीन वैदिक ज्ञान, योग एवं प्राणायम का सहारा लेना
होगा। हमारी सबसे बडी समस्या यह है हम मानसिक रुप से अस्वस्थ होने के बावजुद इस
बात को मानने को तैयार ही नही है। परंतु सच्चाई यह है की हमारी मानसिक अस्वस्थता
की वजह से ही समाज मे बुराईयाँ फैली है। जिस प्रकार वातावरण मे प्रदुषण फैलने से शरीर
मे बिमारीयाँ फैलती है, उसी प्रकार मन प्रदूषित होने से समाज मे बुराईयाँ फैलती है।
इसे संपूर्ण रुप से मिटाने का एक ही तरीका है - हमारा प्राचीन ज्ञान मे विश्वास और
उसका हमारे जीवन में परिपालन करना। और यह कार्य वही व्यक्ति कर सकता है जिसे हमारे प्राचीन ज्ञान मे विश्वास हो, निष्ठा हो।
उनपर एक और आरोप लगाया जाता है की वे अपने वरिष्ठों का सम्मान नही करते। इसके
लिये आडवानीजी का उदाहरण दिया जाता है। परंतु हमें इस सच्चाई को भी स्विकारना होगा
की बढ़ती उम्र के साथ-साथ मनुष्य की जिम्मेदारीयाँ और भुमिकाएं भी बदल जाती है। यह
एहसास वरिष्ठों को भी होना चाहिये। यदि पद के मोह में वे अपनी ज़िम्मेदारियाँ भूल
जाते है और इस वजह से उन्हे अपमानित होना पड़ता है तो इसमे मोदी का क्या कसुर है?
बेहतर होगा की वे अपनी जिम्मेदारीयों को समझे और एक अच्छे मार्गदर्शक के रुप मे
पार्टी को अपनी सेवायें दे जिससे उनका मान-सम्मान और इज्जत बना रहे।
प्रधानमंत्री पद के लिये मोदी को योग्य मानने का यह कतई मतलब नही की उनसे आज तक
कोई गलती नही हुयी या भविष्य में नहीं करेंगे। वह भी एक इंसान है और इंसान से
गलतीयाँ होना स्वाभाविक है पंरतु उनकी विशेषता यह है की वे अपनी पुरानी गलतियों से
सबक लेकर उसे पुनः नही दोहराने की हरसंभव कोशिश करते है। उनकी यही विशेषता उन्हें
औरों से अलग कराती है।
एक और महत्त्वपूर्ण बात याद रखनी है की इस बार अति भ्रष्ट, चरित्रहिन, गंभीर
अपराधिक मामले वाले और अपराधिक छवि के लोगों, जिन्हें अदालत के द्वारा दोषी करार
दिया है, को वोट नहीं देना है चाहे वे किसी भी पार्टी के हो। इससे सारी राजनितिक
पार्टीयों को भी यह संदेश जायेगा की जनता अब किसी भी सुरत में गलत लोगों का साथ नही
देगी। हम एक साथ सारी बुराईयाँ खत्म तो नही कर सकते पंरतु नेक इरादे से प्रयास
किया जाय तो कुछ समय मे सारी बुराईयाँ खत्म हो सकती है और एक अच्छे युग की शुरुवात
हो सकती है। इसप्रकार युग परिवर्तन के इस महान कार्य मे भी हम अपना योगदान दे सकते
है।
इसलिए आप सभी से मेरा अनुरोध है की इस बार हमे किसी भी हालात मे मोदी को
संपुर्ण बहुमत के साथ हमारे देश का प्रधानमंत्री बनाना है और हमारी गौरवशाली
परंपरा एवं संस्कृती को पुनर्जिवित करना है। यदि सारे भ्रष्ट, बेईमान और देशद्रोही
लोग एक हो सकते है तो सारे अच्छे, ईमानदार और देशभक्त लोग एक क्यों नही हो सकते?
बहस के लिये और भी कई मुद्दे हो सकते है परंतु इस अंतहिन बहस को यहीं पर विराम
देकर, उसमे अपना किंमती समय न गवाकर मोदीजी की जीत सुनिश्चित करने मे अपना
बहुमुल्य योगदान देना हैं।
अबकी बार मोदी सरकार
जय हिंद, जय भारत
-
प्रो. राधेश्याम हेमराज गजघाट
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