Wednesday 28 March 2012

श्री श्री रविशंकर जी का सरकारी स्कुल पर बयान


श्री श्री रविशंकर जी का सरकारी स्कुल पर जो बयान आया था उससे मै पुरी तरह असहमत हुँ। परंतु जिस तरीके और तिव्रता से राजनेताओने उस बयान का विरोध किया वह उचित नही है। हमे रविशंकरजी की योग्यता और विद्वत्ता पर शक नही होना चाहिये। यदि रविशंकरजी जैसे आध्यात्मिक व्यक्ति यह बात कहते है तो हमे उसके गहराई मे जाना होगा, उनके कहने के तात्पर्य को समझने की कोशिस करनी होगी। हम सरकारी स्कुलोंके योगदान को नही नकार सकते परंतु उन स्कुलोंके आज के हालात को भी नजरअंदाज नही कर सकते। आज जो टिचर सरकारी स्कुल मे पड़ाते है, अच्छी तनख्वाह लेते है परंतु अपने बच्चोंको सरकारी स्कुल मे पड़ाना नही चाहते। क्यों? हमे इस बात पर भी गौर करना होगा। आज जो भी पालक अपने बच्चोंको सरकारी स्कुलोमे पड़ाते है, यदि उन्हे प्रायवेट स्कुलो मे पड़ाने का मौका दिया जाये तो वे उन्हे प्रायवेट स्कुलोंमे ही पड़ाना चाहेंगे।
कइ बार हम अपने बच्चों पर चेतावनी देने के बाबजूद नही सुधरने पर हाथ उठा देते है, इसमे हमारा उद्देश्य बच्चोंको मारना नही होता अपितू उन्हे सुधारना होता है। इसमे भलेही हमारा तरिका गलत हो सकता है परंतु हमारा तात्पर्य गलत नही होता। कभी-कभी छोटोंको सुधारने के लिये बड़ोको कड़वे बोल बोलने पड़ते है। इसका मतलब यह नही की वे हमारा बुरा चाहते है। बल्कि वे हमेशा हमारी भलाई चाहते है।
हमारी भारतिय संस्कृती हमे हमेशा बड़ोंका, गुरुओंका एवं हमारे मार्गदर्शकोंका आदर करना शिकाती है। यदि बड़े गलती भी करते है तो हमे उन्हे सम्मानजनक तरिके से उनकी गलती का एहसास कराना है, ना की उन्हे डाँटना, वे जरुर उसे स्विकार करेंगे। क्योंकि गलती तो हर इंसान से हो सकती है। बड़ोको सम्मान और छोटोंको प्यार, यही हमारी संस्कृती हैं।
आज के दिशाविहिन, सिध्दांतहिन और चरित्रहिन राजनेता सिर्फ दुसरोंका विरोध करना जानते है परंतु अपनी हजारो गलतीयाँ उन्हे नजर नही आती। असल मे देखा जाय तो उनमे सच्चाई को स्विकारने का साहस ही नही बचा है। वे तो सिर्फ स्वार्थसिध्दी के लिये राजनिती करते है। ऐसे लोगोंसे देश और जनता की भलाई के बारे मे उम्मिद करना व्यर्थ है। इसलिये यदि हम देश और सभी जनता की भलाई चाहते है तो अच्छे और चरित्रवान लोगोंको राजनिती मे लाना होगा और उन्हे जिताना होगा।
यदि आप मेरी बातो से सहमत है तो शेअर करे।....२७/०३/२०१२

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