Thursday 2 August 2012

हार कभी न मानेंगे


यह मेरी नविनतम रचना है जिसे मै श्रध्देय स्वामी रामदेवजी, आचार्य बालकृष्णजी, आदरणिय अन्ना हजारेजी एवं उनके टीम के सभी देशभक्त साथीयों को समर्पित करता हू। साथ ही मै आप सभी देशवासीयों को अनुरोध करता हू की आज के इस रक्षाबंधन के पावन पर्व पर हम सभी मिलकर राष्ट्ररक्षा का संकल्प ले एवं भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ जारी आंदोलनों को हम अपना सहयोग एवं समर्थन दे। जय हिंद, जय भारत...
 हार कभी न मानेंगे
 दुष्टों के अत्याचार से हम कभी न घबरायेंगे
चाहे लाख जूल्म करलो, हार कभी न मानेंगे ।।
आजादी के दिवानों को क्या तूम डरा पाओगे?
परिवर्तन के इस आंधी को क्या तूम रोक पाओगे?
हम कभी न झुके थे, न कभी तूम झुका पाओगे
समय का चक्र न कभी रुका था, न तूम रोक पाओगे ।।१।।
भ्रष्टाचार के भस्मासुर को मिटाकर ही दम लेंगे हम
दुष्टों की दुष्टता का विनाश कर देंगे हम
हम है माँ भारती के सच्चे सपुत
अहिंसा के मार्ग पर चलकर नया इतिहास रचायेंगे ।।२।।
देश का कालाधन हम देश को दिलवायेंगे
गरीबी, लाचारी और भुखमरी को जड़ से उखाड़ फेकेंगे
समान शिक्षा, समान चिकित्सा व्यवस्था हो ऐसा कानुन बनायेंगे
असमानता की दिवार तोड़कर सबको न्याय दिलवायेंगे ।।३।।
स्वामीजी और अन्नाजी के नेतृत्व मे आगे ही बढ़ते जायेंगे
आध्यात्मिकता के बलपर जगतगुरु हम कहलायेंगे
जहाँ पर हो आपसी प्यार, मोहब्बत और भाईचारा
ऐसा गांधीजी के सपनों का भारत हम बनायेंगे ।।४।।
-    राधेश्याम हेमराज गजघाट ‘आक्रोश’

No comments:

Post a Comment