Thursday 9 August 2012


बाबा रामदेव का आंदोलन एवं भारतीय मिडिया की भूमिका
भारतीय मिडिया पर कई बार सवाल खड़े किये गये और कईयों बार पक्षपात का आरोप भी लगाया गया। तब यह सवाल उठना लाजिमी है की क्या मिडिया अपनी भूमिका इमानदारी से निभा पा रही है? हमे यह भी सोचना होगा की राष्ट्र एवं समाज हित मे मिडिया की भूमिका क्या होनी चाहिये। मिडिया हमेशा दावा करता रहा है की वह अपनी जगह सही है और अपना कार्य निष्पक्ष तरिके कर रहा है। परंतु क्या मिडिया की निष्पक्षता संदेह से परे है?
जब हम इन सवालों का जवाब खोजने की कोशिश करते है तो पता चलता है की सब कुछ ठिक नही चल रहा है। मिडिया समाचारों को प्रसारित करते वक्त एक निर्णायक की भुमिका मे आ जाता है और बैगर दुसरे का पक्ष सुने अपना फैसला सुना देता है या दोषी ठहरा देता है। जिसकारण उस पक्ष को काफी जिल्लत और परेशानी का सामना करना पड़ता है।
किसी भी व्यक्ति, संगठन अथवा संस्था का कोई भी कार्य राष्ट्र एवं समाज के हित मे होना चाहिये ना की उसके खिलाफ। दुसरी महत्वपूर्ण बात है की मिडिया को सकारात्मक समाचारों को प्रसारित करने मे प्रधानता देनी होगी क्योंकी नकारात्मक समाचारों से समाज मे निराशा और बुराई फैलती है। नकारात्मक चिजों को समाज जल्दी और आसानी से ग्रहण करता है। मिडिया को सच्चाई और अच्छाई का साथ देना चाहिये क्योंकी वह जो भी दिखाता है उसका समाज पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
      अब बात करते है बाबा रामदेव के आंदोलन की। बाबा रामदेव भ्रष्टाचार, कालाधन और व्यवस्था परिवर्तन के मुद्दों पर आंदोलन कर रहे जिसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से करोडों भारतीयों का समर्थन प्राप्त है। यह मुद्दे सिर्फ बाबा रामदेव के लिये ही नही हम सभी देशभक्त भारतीयों के लिये भी महत्वपूर्ण है। परंतु मिडिया द्वारा उन मुद्दों पर ध्यान न देकर छोटी-छोटी गलतियों को जोरदार तरिके से उठाया जाता है, जिसकारण मुद्दे गौण हो जाते है और लोग छोटी गलतियाँ खोजने मे अपना समय गवांते है। बाबा रामदेव कोई भगवान नही है जोकी उनसे गलतीयाँ न हो। परंतु उनकी नियत पर सवाल नही किया जा सकता। इतने बड़े आंदोलन मे छोटी-मोटी गलतीयां हो सकती है और हमे उन गलतीयों पर ध्यान न देकर मुद्दों पर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। यदी मिडिया इसमे नकारात्मक भुमिका मे आता है तो यह लड़ाई और कठीन हो जायेगी। यह हमारा सौभाग्य है की बड़ी मुश्किल से इस आंदोलन को एक सक्षम और इमानदार नैतृत्व मिला है जिसे हम अपनी बेवकुफी की वजह से व्यर्थ न गवाये।
      इस आंदोलन के सबसे बड़े दुश्मन है हमारे सो कॉल्ड बुध्दिजीवी जिन्हे करनी मे नही सिर्फ कथनी मे विश्वास है। जो बाते तो बड़ी-बड़ी करते है परंतु जब करने का मौका आता है तो भाग खड़े होते है। एसे दोगले चरित्र वाले व्यक्तियों पर विश्वास ना करे और अपने अंतर्रात्मा की आवाज सुनकर निर्णय करे।
      इस आंदोलन की सफलता पर संदेह ना करे क्योंकी परिवर्तन तो प्रकृती का नियम है और यह होकर रहेगा। हाँ, वक्त कितना लगेगा यह नही बताया जा सकता परंतु प्रकिया सुरु हो चुकी है। जय हिंद, जय भारत...

3 comments:

  1. तुमचे विचार अगदी योग्य आहेत. आता प्रत्येकाने स्वतःपासून सुरुवात केली पाहिजे व जे भ्रष्टाचाराच्या विरुद्ध लढाईत उतरले आहेत (अण्णा, बाबा व त्यांचे सहकारी) त्यांना यथायोग्य मदत केली पाहिजे.
    हा देश माझा आहे व मी देशासाठी आहे
    - राहुल सं. मुळीक

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    1. धन्यवाद राहुल...आम्हा सगळ्यांना मिळुन ही लडाई लडायची आहे..

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